मृत्यु दण्ड!

विशेष प्रतिनिधि

गाजियाबाद के मुर्रादनगर में श्मशान स्थल पर रविवार की सुबह अन्त्येष्ट के समय हुये हादसे में जहां २५ लोगों की मलबे दबने से दर्दनाक मौत हो गई वहीं १५ से अधिक लोग घायल हो गये।

इस हृदय विदारक घटना से पूरे क्षेत्र में हाहाकार मचा ही है लोगों में भारी रोष व क्षोभ भी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े तेवरों से जिस तरह जिम्मेदार आरोपियों को गिरफतार कर जेल भेज दिया गया है और मृतकों के परिवारों की मांगी मांग उन्हे राहत दी जा रही है। वो सराहनीय है।

सरकार को भ्रष्टाचार के ऐसे सगीन मामलों में दोषियों को मृत्युदण्ड की सजा देने का कानून बनाना होगा। तभी भ्रष्टाचारी भयभीत होगें गलत कार्य करने से बचेगें। 

गाजियाबाद/लखनऊ। गाजियाबाद के मुरादनगर में रविवार की प्रात: श्मशान स्थल पर बने अन्त्येष्टि स्थल की छत ढह जाने से २५ लोगों की जहां मलबे में दब जाने से हृदय विदारक मौतें हो गई वहीं १५ से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हो गये। इस घटना से चौतरफ ा कोहराममच गया और बाला जी कालोनी में गम के बादल छा गये। 

ज्ञात रहे शनिवार को बाला जी कॉलोनी निवासी जयराम की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। रविवार सुबह करीब १० बजे जयराम के शव को लेकर लोग उखलारसी अन्त्येष्टि स्थल गये थे उस समय १०० से ज्यादा लोग उपस्थित थे। करीब ११ बजे अन्तिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी हो गई। पुजारी जी ने जयराम की आत्मा की शांति के लिये दो मिनट मौन के लिये गैलरी में बुलाया इतनी ही देर में अचानक गैलरी की छत भरभरा कर नीचे गिर गई। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस भयावह घटना पर बेहद कड़े तेवर दिखाते हुये जहां सभी जिम्मेदारों के खिलाफ  कड़ी कार्यवाही के आदेश दिये वहीं अंतत: मृतक परिवारों के आश्रितों की स्थिति व मांग को देखते हुये १०-१० लाख की आर्थिक सहायता की घोषणा कर दी और सभी के एक-एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने व अनाथ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च भी बहन करने का वादा कर दिया। 

इस हृदय विदारक घटना के बाद थाना मुरादनगर में नगर पालिका की अधिशाषी अधिकारी निहारिका सिंह, अवर अभियंता चन्द्रपाल एवं सुपरवाइजर आशीष तथा निर्माण करने वाले ठेकेदार अजय त्यागी के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इनके साथ ही निर्माण करने वालें अज्ञात कर्मचारी व मजदूरों को भी आरोपित किया गया। और उसी दिन देररात अधिशाषी अधिकारी, अभियंता तथा सुपरवाइजर को गिरफतार कर जेल भेज दिया गया। जबकि फ रार ठेकेदार अजय त्यागी को सोमवार रात गिरफतार कर लिया गया। इसी बीच अधिशाषी अधिकारी को निलम्बित कर दिया गया। 

संकेत मिल रहे हैं कि इस भयावह कांड में मेरठ के मण्डलायुक्त और गाजियाबाद के जिलाधिकारी पर भी गाज गिर सकती है। 

इस भयावह घटना के बाद पुल, सड़कें, इमारतें बनाने के जनहित कार्यो में जानलेवा भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों को लेकर अब ये आवाजें उठना स्वाभाविक ही है कि जब तक भ्रष्टाचारियों को मृत्यु दण्ड की सजा का प्रावधान नहीं किया जायेगा तब तक 

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कुछ होने वाला नहीं है। क्योकि ऐसे भ्रष्टाचारों में शासन स्तर तक से संरक्षण मिला होता है और सरकारी धन की बंदर-बांट आम बात हो गई है। 

बार-बार यह सच सामने आ चुका है कि हर बड़े ठेके में शासन से प्रशासन स्तर तक बिना रिश्वत दिये काम हो ही नहीं सकता। यहां तक सुनने में मिलता है कि कभी-कभी तो ठेके की आधी रकम पहले ही वसूल ली जाती है। 

फि लहाल योगी जी से सूबे के लोगों को बड़ी आशायें हैं कि वे ही ऐसे भ्रष्टाचारों पर लगाम लगा सकते हैं। 


आज भी नजीर बने हुये हैं 

अंग्रेजों के निर्माण कार्य

कानपुर से शुक्लागंज (उन्नाव) जोड़ने वाला गंगापुल १४६ साल पुराना है और अभी भी लोगों के आवागमन का साधन बना हुआ है। 

बेतवा नदी पर बना रंगईपुल १६२ साल पुराना है और आज भी इस पर से प्रतिदिन ५००० से अधिक वाहनों की आवाजाही हो रही है। 

ऐसे ही देश में न जाने कितने पुल हैं जो १०० साल से ऊपर के हैं और वे बखूबी उपयोग में लाये जा रहे हैं।

ऐसे ही अंग्रेजों की बनाई सड़कें आज भी नजीरें बनी हुई है तो १५०-२०० साल पुरानी इमारतें जस की तस खड़ी हुई है और ऐसा सिफ र् और सिर्फ  इसलिये कि अंग्रेजों ने जितने भी निर्माण कार्य कराये थे सब में पूरी ईमानदारी बरती गई थी। मजाल जरा भी कोई हेर-फ ेर कर दे। जरा भी गुणवत्ता से खिलवाड़ हो जाये। 

कल्पना कीजिए वो तो बाहरी थे पर निर्माण कार्यो में उन्होने जिस ईमानदारी का परिचय दिया था वो आंखे खोल देने वाला है। 



धिक्कार है तंत्र पर 

इसे बिडम्बना ही कहा जायेगा कि आजादी के बाद अपनों से जिस ईमानदारी व समर्पण की आशा थी वो खोखली निकली। जिम्मेदारों ने जिस बेहरहमी से खुलेआम लूट पाट शुरू कर दी व कर रहे हैं उसी का नतीजा हंै पुल, सड़के, इमारतें सब कुछ तो अकाल मौतों को प्राप्त हो ही रही हैं, लोगों को तबाह करने का भी काम कर रही हैं। 

हम दूर न जाये सिफ र् कानपुर की बात करें तो गंगा जी पर बना जाजमऊ पुल ४२ साल में ही दुर्गति को प्राप्त हो गया है। गोविन्दपुरी पुल के समान्तर बना नया पुल कुछ महीनों के दौरान ही हिलने व दरकरने लगा है जिसे लोग असुरक्षित मानने लगे हैं। दादानगर में झांसी लाइन पर ४ साल पहले बने पुल में दरारंे नजर आने लगी हंै।