लखनऊ (रा.प्र.)। समाज को विविध वर्गो में बांटकर राजनीति करने वालों ने ही देश में जात-पात का जहर बोया ही नहीं उसे पोषित भी किया। जात-पात उन्मूलन के लिये आज जो अभियान अधिवक्ता जनसेवा संस्थान चला रहा है वो समय की मांग है और यह देश की प्राचीनतम् मुहिम भी है। इसके प्रमाण रामायण काल तथा महाभारत में भी मिलते हैं।
उपरोक्त विचार शुक्रवार को इतिहासकार पद्मश्री डॉ० योगेश प्रवीन ने 'अधिवक्ता जनसेवा संस्थानÓ के ३३वें स्थापना दिवस के अवसर पर यूपी प्रेस क्लब में आयोजित जाति हटाओ भाईचारा लाओ, भारत एक बनाओ विषयक संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुये व्यक्त किये।
डॉ० प्रवीन ने बताया कि जब जानकी जी राजमहल त्यागकर बाहर निकली तो वह किसी राजे रजवाड़े किसी जमीदार के यहां न जाकर बाल्मीकि के आश्रम में शरण ली थी। बाल्मीकि कौन थे सबको पता है। यही नहीं श्री राम के साथ सीता खोज एवं रावण से युद्ध करने में सहयोग करने वाले जटायु, सुग्रीव, हनुमान कौन थे? इसी तरह महाभारत काल में भी समाज जातिविहीन रहा है।
संगोष्ठी को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित करते हुये पूर्व ऊर्जा सचिव भारत सरकार सम्प्रति भारत जन ज्ञान विज्ञान समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्री हरिशचन्द्र ने कहा कि जात-पात के जहर ने समाज का बड़ा नुकसान किया है। उसके उन्मूलन के लिये समाज को विद्रोह करना होगा तथा रोटी की तरह बेटी के रिश्ते भी करने होगें। हिन्दू समाज की कुछ कुरीतियों की चर्चा करते हुये उन्होने कहा कि आज के वैज्ञानिक युग में अंध विश्वासों की जगह नहीं होनी चाहिये । उन्होने संस्थान के प्रयासों की सराहना की।
संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि 'दि मॉरलÓ के सम्पादक श्री शिव शरण त्रिपाठी ने कहा कि जातिवाद का संजाल तोडऩा आसान नहीं है। कारण कि महज वोटों के लिये देश के राजनीतिक दल ही इसे मजबूत बनाने में जुटे है। उन्होने कहा कि कितना अच्छा होता जब देश का अपना संविधान बनाया जा रहा था तो उसी समय सभा के एक कर्मठ सदस्य बाबा साहेब ने संविधान के प्रारूप में ही जाति सूचक शब्द हटाने का उपबंध जोड़ दिया होता तो आज ऐसी मुहिम की जरूरत ही नहीं रह जाती। उन्होने आगाह किया कि जब तक जात-पात के मामले में देश के राजनीतिक दलों को हतोत्साहित नहीं किया जायेगा तब तक कुछ भी परिणाम हासिल होने वाला नहीं है। हालांकि अधिवक्ता जन सेवा संस्थान के इस दिशा में किये जाने वाले सतत् प्रयासों की भी कहीं अधिक जरूरत है।
प्रारंभ में अधिवक्ता जन सेवा संस्थान के अध्यक्ष एवं निदेशक श्री अजित कुमार एडवोकेट ने संस्था के उद्देश्यों व संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डालते हुये कहा कि कि हम एक है और एक रहेगें। और जब हम मिलकर इस राह पर चलेगें तो देश का कल्याण तय है। उन्होने कहा कि जातिवाद एक भद्दा कलंक है इसे दूर किये बिना देश में एकता संभव नहीं है। इसी लिए संस्थान ने नारा दिया है कि 'जातिवाद हटाओ भाईचारा लाओ भारत एक बनाओÓ। उन्होने कहा कि इस दिशा में हमारा सतत् प्रयास जारी है। संस्थान के कार्यकर्ता गांव-गांव जायेगें और लोगों को जातिसूचक शब्द न लिखने को प्रेरित करेंगे। श्री कुमार ने दावा किया कि जिस दिन समाज जातिवाद के मकडज़ाल से मुक्ति पा जायेगा उसी दिन देश में भाईचारा और भारत के एक होने में देर नहीं लगेगी।
संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं अन्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन तथा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्र्यापण से हुआ। संगोष्ठी का संचालन श्री देवकी नंदन शांत ने किया एवं धन्यवाद संस्थान के महामंत्री प्रो० (डॉ०) वी.जी. गोस्वामी ने प्रकट किया।
इस अवसर संस्थान के जिलाध्यक्ष चंदन कुमार वर्मा ने भी अपने विचार प्रकट किये।
संगोष्ठी में संस्थान के प्रदेश स्तर के पदाधिकारी सहित बड़ी संख्या में अधिवक्तागण मौजूद थे।